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Text Of The Vice-President's Address At The Centenary Foundation Day Of ICAR-CIRCOT , Mumbai (Excerpts)

Posted by Admin3

Text of the Vice-President's address at the Centenary Foundation Day of ICAR-CIRCOT , Mumbai (Excerpts)

Photo Courtesy - All India Radio/X

New Delhi: आज का दिन हमारे लिए बहुत सोचने का है, चिंतन का है, मंथन का है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, इसकी एक संस्था ने 100 साल पूरे किये। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च पूरे देश में फैली हुई है।180 से ज्यादा संस्थाएँ हैं, कृषि के हर क्षेत्र को प्रभावित करने वाली है। लंबे समय से कार्यरत हैं,कृषि से जुड़ा हुआ, किसान से जुड़ा हुआ, ऐग्रो इकोनॉमी से जुड़ा हुआ कोई भी पहलू अछूता नहीं रहा।

यह बहुत आसान है कि we can take pride in our achievements. It is very convenient to receive accoladation but this is an occasion of introspection.

This is an occasion of auditing, this is an occasion of auditing of self realisation, this is an occasion to put the strategy in place. आपने कितनी ही बात कर ली आज के दिन ही ग्रामीण व्यवस्था, आज किसान परेशान है पीड़ित है आंदोलित है।

यदि अगर संस्थाएँ जीवंत होती, योगदान करती यह हालात कभी नहीं आते। यह आप और हमारे सामने प्रश्न हैं। in a country of 1.4 billion people, a network of such institutions, dotting every nook and corner of the country, covering every activity of agronomy. हो क्या रहा है? किसान का परिदृश्य बदल गया है क्या? किसान तक पहुँच रही है क्या बात है? the disconnect could not be more.

मुझे आशा की किरण नज़र आ रही है। एक अनुभवी व्यक्ति आज के दिन भारत का कृषि मंत्री है। शिवराज जी, आपके सामने चुनौती है किसान कल्याण की, ग्रामीण विकास की।

जब अपने बात करते हैं विकसित भारत की, विकसित भारत का रास्ता किसान के दिल से निकलता है यह हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।

किसान यदि आज के दिन आंदोलित हैं, उस आंदोलन का आकलन सीमित रूप से करना बहुत बड़ा गलतफहमी और भूल होगी। जो किसान सड़क पर नहीं है, वह भी आज के दिन चिंतित हैं, आज के दिन परेशान है। भारतीय अर्थव्यवस्था जो आज उचाई पर है, पांचवीं महाशक्ति है हम दुनिया में तीसरी बनने वाले हैं पर एक बात याद रखिये, भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा मिलना है तो हर व्यक्ति की आय को आठ गुना करना है। उस आठ गुना करने में सबसे।सबसे बड़ा योगदान ग्रामीण अर्थव्यवस्था का है, किसान कल्याण का है।

किसान के लिए जितना किया जाए कम है। कितना किसान के लिए करो उसका असर देश पर पड़ेगा, सकारात्मक रूप से पड़ेगा। जब संस्थाओं को देखता हूँ और पाता हूँ कि इनका असर कहाँ पर है।

If we will not self audit, who will? We cannot reduce our functions to be ceremonial. हमें अंदर झांकने की आवश्यक्ता है कि अब तक हम ऐसा क्यों नहीं कर पाए। क्या दुनिया में कृषि का विकास नहीं हो रहा है। तकनीकें नहीं आ रही है? यह सोचने की बात है।

मैंने 2 दिन पहले मेरी चिंता व्यक्त की थी कि किसान आंदोलित हैं। मैंने किसान भाइयों से आह्वान किया था की हमे निपटारे की ओर बढ़ना चाहिए।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दुनिया को एक संदेश दिया की मसला कितना भी बड़ा हो, विवाद कितना भी गंभीर हो उसका समाधान बातचीत से है और विश्व स्तर पर स्तर पर कूटनीति से है। हम अपनों से नहीं लड़ सकते, हम अपनों को नहीं इस हालत में डाल सकते की वो कब तक लड़ेंगे। हम यह विचारधारा नहीं रख सकते कि उनका पड़ाव सीमित रहेगा, अपने आप थक जाएंगे। अरे भारत की आत्मा को परेशान थोड़ी ना करना है, दिल को चोटल थोड़ी ना करना है।

I will call upon the Director-General and appeal to the Honourable Minister, the Indian Council of Agriculture Research, all its affiliates, universities, research centres must be firing on all cylinders to work for a situation to bring about economic prosperity to the farmer.

मैंने जब आह्वान किया तो मुझे अच्छा लगा कि एक प्रतिक्रिया आई है। प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया आई है माननीय जगजीत सिंह डल्लेवाल से। संयमित भाषा है, संजीव जी की भाषा है। उन्होंने पहले जो मैंने कहा उस पर अपना ध्यान केंद्रित किया वह जिन संस्थाओं से जुड़े हुए हैं SKM और KMM वह आंदोलित हैं। उन्होंने मेरी भावना को समझा और फिर माननीय कृषि मंत्री जी उन्होंने कहा क्या हैं, उनका संदेश क्या है मेरे लिए? उनका संदेश है कि किसान के साथ जो वादा किया वो पूरा क्यों नहीं हुआ?

आप के लिए चुनौती है जब कोई भी सरकार वादा करती है और वह वादा किसान से जुड़ा हुआ है तब हमें कभी कोई कसर नहीं रखनी चाहिए। किसान हमारे लिए आदरणीय है, प्रातः स्मरणीय हैं, सदैव वंदनीय है। मैं खुद कृषक पुत्र हूँ, मैं जानता हूँ किसान क्या कुछ नहीं झेलता है, और हमारा अन्नदाता है।

क्या इस देश में, ७५ साल के बाद इतनी बड़ी-बड़ी संस्थाएं हमने create कर दी हैं और किसान आज भी अपने उत्पाद की कीमत के लिए तरस रहा है। कृषि उत्पाद कितना बड़ा व्यापार है। मैं चुनौतीपूर्ण प्रश्न करते हैं करता हूं, आपकी संस्थाओं ने किसान को उसमें जोड़ने के लिए क्या किया। किसान को करशी से जोड़ते, उसकी मार्केटिंग से जोड़ते, एक बदलाव आता, क्यों ऐसा नहीं हुआ। सोचने का प्रश्न है, सौ साल हो गए तब तो ज़रूर सोचने का है। मैंने कई बार कहा है, ध्यान केंद्रित किया है, हमारा किसान अपने प्रोड़ेक्ट के अंदर वैल्यू एड क्यों नहीं करें। कृषि मंत्री जी, आप और आपके मंत्रालय, they should come on the same page. Kisan must be encouraged to have micro and medium scale industries at his farmland to add value to his product.

आज के दिन किसान का एक ही काम रख दिया, इतने सीमित दायरे में कर दिया की आप खेत के अंदर अन्न पैदा करो फिर उसको सही कीमत पर बेचने के लिए सोचते रहो।

I fail to understand why we cannot work out a formula in consultation with economists, think tanks that will reward our farmers.

अरे, हम तो reward की बजाय जो due है उसको नहीं दे रहे। हम उसको देने में भी कंजूसी कर रहे हैं, जो promise किया गया है, और मुझे समझ में नहीं आ रहा है वार्ता क्यों नहीं हो रही है किसान से?

प्रधानमंत्री जी का दुनिया को संदेश है, जटिल समस्याओं का निराकरण वार्ता से होता है। किसान से वार्ता अविलंब होनी चाहिए और हमें सबको जानकारी होने चाहिए, क्या किसान से कोई वादा किया गया था? माननीय कृषि मंत्री जी, आपसे पहले जो कृषि मंत्री जी थे, क्या उन्होंने लिखित में कोई वादा किया था? यदि अगर वादा किया था तो उसका क्या हुआ?

मैंने बहुत अर्थशास्त्रियों से बात की है, ध्यान चिंतन किये हैं। हमारा मन सकारात्मक होना चाहिए, रुकावट पैदा करने वाला नहीं होना चाहिए कि किसान को यह कीमत दे देंगे तो इसके दुष्परिणाम होंगे। किसान को जो भी कीमत देंगे, उसका पांच गुना देश को मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।

We have to define our priorities, हमें ध्यान रखना पड़ेगा, I am so sorry. But what I see before my eyes is lack of directional approach.

Can we create a boundary between the farmer and the government?

जिनको लगाना हैं गले, उनको दुत्कार नहीं क्या जा सकता है। मेरे कठोर शब्द हैं, पर कई बार बीमारी के लिए इलाज के लिए कड़वी दवाई पीनी पड़ती है।

मैं सभी को देश में आह्वान करूँगा, किसान बंधु को आह्वान करूँगा, मेरी बात सुने, मेरी बात समझें, आप अर्थव्यवस्था की धुरी हैं, राजनिनीति को प्रभावित करते हैं, भारत की विकास यात्रा के आप महत्वपूर्ण अंग हैं, सामाजिक समरसता की आप मिसाल हैं।

आपको भी बात-चीत के लिए आगे आना चाहिये। पर मुझे माननीय कृषि मंत्री जी थोड़ी पीड़ा है। मेरे चिन्तन और चिन्ता का विषय है। अब तक ये पहल क्यों नहीं हुई। आप कृषि कल्यान ग्रामीण विकास के मंत्री हैं। मुझे याद आती है सरदार पटेल की, उनका जो उतरदायित्व था, देश में एकता करने का, कैसे उन्होंने बखूबी किया? ऐसी चुनौती आज आपके सामने है, इसको भारत की एकता से कम मत मानिये।

और यह आकलन बहुत सीमित है, संकीर्ण है कि किसान आंदोलन का मतलब सिर्फ उतना हैं जो लोग सड़क पर है, नहीं। किसान का बेटा आज अधिकारी हैं, किसान का बेटा सरकारी कर्मचारी हैं। अरे, इस देश के अंदर लाल बहादुर शास्त्री जी ने क्यों कहा- जय जवान, जय किसान। उस जय किसान के साथ हमारा रवैया वैसा ही होना चाहिए, जो लाल बहादुर शास्त्री की कल्पना थी।

और उसके अंदर क्या जोड़ा गया? माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने - जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान।

और वर्तमान प्रधानमंत्री जी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए इसको प्रकाष्ठा पर ले गए - जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान, जय विज्ञान।

ये समय कष्टदायक है मेरे लिए क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूँ।

पहली बार मैंने भारत को बदलती हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी।

जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान क्यों है? क्यों पीडित है? Why the farmer is stressed?

ये बहुत गहराई का मुद्दा है, इसको हल्के में नेने का मतलब है, We are not practical, Our policy making is not in the right track. कौन है वो लोग कहते हैं कि अपने किसान को उसके उत्पाद की उचित मुल्य दे देगें तो मुझे समझ में नहीं आता कोई पहाड़ गिरेगा।

किसान अकेला है, जो असहाय है, He doesn't decide what he can decide. कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है, मेरे आप से आग्रह है, और भारत के संविधान के तहत, दूसरे पद पर विराजमान व्यक्ति आप से अनुरोध कर रहा है, कि कृपया करके मुझे बताइये, क्या किसान से वादा किया गया था, और वादा क्या गया वादा क्यों नहीं निभाया और वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है, कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं।

Distinguished scientists, I can tell you what I have told you is 5% of my feelings. I'm tied to the constitutional office I hold. I am not expressing myself fully but the nation has to rise to do full and complete justice to the farmer, to rural India. Get your economist on board.

मैंने सुनी है बातें inflation हो जाएगा, एक simple सी बात कहता हूँ। गेहूं से ब्रेड बनती है, कितनी डिस्पैरिटी है! दूध से ice cream बनती है, कितनी डिस्पैरिटी है! आखिर थोड़ा बहुत तो ज्ञान हममें होगा, अनुभव का होगा और ज़िंदगी बचपन में गोबर में पांव रखकर निकाली है खुद उन कष्टों को महसूस किया।आपकी बड़ी - बड़ी योजनाएं कारगर है, जैसे नाम कमाया हैं, भारत आज ख्याति पर है।

We have 118 unicorns, we have a global startup mechanism.जो दुनिया की envy है। अरे, इसमें किसान की भागीदारी भागीदारी क्यों नहीं है?

मान कर चलिए अपने रास्ता भटक गए हैं। हम उस रास्ते पर गए हैं जो खतरनाक है और मेरी दृढ़ मान्यता है इसके समाधान की कुंजी प्रधानमंत्री जी दे चुके हैं कि वार्तालाप होना चाहिए। मुझे बड़ा अच्छा लगा जब माननीय जगजीत सिंह ने सार्वजनिक रूप से पहले तो संज्ञान लिया कि मैंने क्या कहा और फ़िर उन्होंने तीन ही बातें कही किसान को MSP gurantee कानून चाहिए। खुले मन से देखो खुले मन से सोचो, आंकलन करो। देने के क्या फायदे हैं, नहीं देने का क्या नुकसान हैं। आप तुरंत पाओगे इसमें नुकसान ही नुकसान है। दूसरा Agriculture Minister ने लिखित में जो वादा किया उसका क्या हुआ?

और मेरी पीड़ा है कि किसान को, किसान के हितैषी आज चुप हैं, बोलने से कतराते हैं। देश की कोई ताकत किसान की आवाज को कुंठित नहीं कर सकती। A nation will pay a huge price, if he try patience of a farmer.

मित्रों आप लोग बड़े विद्वान हो, You are cream of the society. I could have made it a very different speech. I could have praised you to the sky, you would have several times clapped, पर जिस पद पर में हूं, जिस वर्ग से मैं आया हूं, जिस कर्तव्यनिष्ठा से काम कर रहूं हूं, जो मैंने शपथ ली है उसके लिए आवश्यक है, I give you this pill. दर्दनाक हो,कड़वी हो, कम से कम आज रात को आप सोने से पहले सोचोगे। मैंने रात को तीन घंटे लगाए, मेरे टीम ने लगाए दो सदस्य यहां हैं, कि आखिर इन vision documents को किसी ने देखा क्या, इतनी संस्थाएं हैं, नाम तक याद नहीं रहता है, वो कुछ कर रही हैं क्या?

I am sorry to share with you, मैंने ज़मीन भी नापी है- राजस्थान में आपके संस्थाओं में जाकर नापी है। हरियाणा में नापी है, अन्य प्रांतों में भी नापी है। मुझे एक ही चीज मिली हताशा पर मैं निराश होने वाला नहीं हूँ। मेरे को उम्मीद है। आज से पाठक साहब please energize your Institutions। मैंने आपका भाषण देखा। उसमें आपने बहुत अच्छा किया हमारा स्वागत पर कंटेंट कहाँथा उसमें पाठक साहब, This was a time to tell the world we are completing 100 years- Centenary Celebration! Where are we in the world on cotton export, where is our farmer?

आप अगर ठान लेते तो किसान के बच्चे entrepreneur बनते, value add करते cluster of villages के अंदर। पुरानी संस्कृति याद आती। हम दूर भटक गए हैं।

India's farming sector is central to the nation's economy. Its reach is unmatchable with such a wave of excellent research institutions ICAR has potential, Please exploit this potential. You have over 180 institutes, agriculture universities spread across the country.

Not only you are one of the largest National Agricultural System, you are the largest in the world. And I said, my roots are in Gramin Bharat, My roots are in Kheti.

यदि अगर इनका विकास नहीं होगा, विकसित भारत@2047 कम से कम किसान के लिए कम से कम किसान के लिए भी आना चाहिए। Resolution of agro-sector issues has to be highest governance priority.

Farmers in distress and farmers in agitation does not augur well for overall well-being of the Nation.

India has potential to generate thrice the impact on poverty reduction compared to other sectors and driving half of India's consumption through agro-processing and rural services. हम पता नहीं क्यों नहीं कर पा रहे while ensuring the country’s food security. farmer करता क्या है? अन्नदाता है, क्या-क्या बर्दाश्त नहीं करता है inclement weather, different kind of a supply और एक समय तो ऐसा था कि किसान को बिजली मिलेगी तो रात को ही मिलेगी।

Friends, I am extremely happy to share my thoughts with you. I am sure these thoughts will be received in earnestness. They will stir your conscience. We all will work in togetherness, in tandem, to see that our farmer blossoms. Let us nurture our rural economy. Let us pay real tribute to the farmer. Let us resolve today that we will address issues of farmers in a definitive manner. और किसान की समस्याओं के हल के लिए काहे की चिंता ?

यदि अगर किसान से बात करना चिंता का विषय है तो आम आदमी को बहुत चिंतन करना पड़ेगा हम कहाँ हैं?

इसी भावना के साथ I wish this institution and Indian Council of Agriculture Research affiliates that henceforth they will take the Kisan as their North Star. And if there are difficulties, you will always remember when the nation is in difficulty, the kisan, the farmer, is lighthouse for the nation, stated a press release.

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